भारत में अब तक भी हिंदुओं पर नरसंहार जारी है
मैं एक ऐसे लेखक के रूप में यह लेख लिख रहा हूं जिसका जन्म भारत के राजस्थान प्रांत में हुआ,
मैं राजस्थान के एक छोटे से शहर का रहने वाला अपनी जिंदगी की मौज मस्ती में व्यस्त था, फिर मेरे जीवन में एक ऐसा मोड़ आया जिसे मैं खुद भी संभाल नहीं पाया,
मुझे इस्लाम में धर्म, सत्य, मानवता, अहिंसा जैसी कोई बातें नजर नहीं आई आप एक आयत उठाकर देखोगे तो शांति जैसी बातें नजर आएंगी, फिर कुछ आगे पढ़कर नजर डालोगे तो आपको कट्टरपंथता और सांप्रदायिक भावनाओं में प्रेरित करने के अलावा कुछ नहीं दिखाई देगा,
इसी तरीके से पिछले 2 साल से मुझे मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हमारे हिंदू आस्थाओं के देवी देवताओं का कमैंट्स, मैसेज, फोन कॉल पर मजाक उड़ाया और मैं या कोई भी हिंदू इन बातों का जब विरोध करता है तो कुछ कम्युनिस्ट और JNU विश्वविद्यालय जैसे छात्रों का सहारा लेकर कहा जाता है की यह हमारी बोलने की आजादी (Freedom of speech) है, लेकिन मैंने जब इस्लाम के पाखंड को लोगों के सामने लाने की कोशिश की तो उसका नतीजा मैं यहां एक वीडियो अपलोड कर रहा हूं उसमें आप देख सकते हैं
मैं राजस्थान के एक छोटे से शहर का रहने वाला अपनी जिंदगी की मौज मस्ती में व्यस्त था, फिर मेरे जीवन में एक ऐसा मोड़ आया जिसे मैं खुद भी संभाल नहीं पाया,
मैं यहां एक शब्द का जिक्र करने जा रहा हूं उस शब्द का नाम है दावत, अरबी में इसे दावाह (invitation) कहा गया है, इस शब्द से मेरे जीवन में उथल पुथल मच गई मेरे जीवन में जीने का तरीका बदल गया,
अब आप सोच रहे होंगे एक दावत शब्द से एक व्यक्ति का जीवन कैसे खराब हो सकता है दावत देना तो कोई बुरी बात नहीं है "जी हां" दावत देना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन यहां कोई शादी या कोई कार्यक्रम की दावत की बात नहीं हो रही, यहां बात हो रही है इस्लाम कबूल करने की दावत,
मुझे इसी प्रकार से सैकड़ों दावत मुस्लिमों की तरफ से मिली इस्लाम कबूल करने के लिए, दावत तक तो ठीक था, पर मैंने इस चीज का विरोध किया तो मुझे धमकियां तक भी मिली कि आप 3 महीने में इस्लाम नहीं कबूल करोगे तो आपके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाएंगे,
फिर मैंने इस्लाम को जानने की कोशिश की और इस्लाम को पढ़ा भी और अपने ज्ञान से समझा भी,
इसी तरीके से पिछले 2 साल से मुझे मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हमारे हिंदू आस्थाओं के देवी देवताओं का कमैंट्स, मैसेज, फोन कॉल पर मजाक उड़ाया और मैं या कोई भी हिंदू इन बातों का जब विरोध करता है तो कुछ कम्युनिस्ट और JNU विश्वविद्यालय जैसे छात्रों का सहारा लेकर कहा जाता है की यह हमारी बोलने की आजादी (Freedom of speech) है, लेकिन मैंने जब इस्लाम के पाखंड को लोगों के सामने लाने की कोशिश की तो उसका नतीजा मैं यहां एक वीडियो अपलोड कर रहा हूं उसमें आप देख सकते हैं
Very good Yadav ji
ReplyDeleteBhupender Yadav ji maine aap ka video completely Pura dekha and
ReplyDeleteI salute Yadav ji hum Aapke saath hain
Good work Bhupender bhai,
ReplyDeleteI salute you.
We all are with you dear.. Islamik Aaatankwad tvi khtm hoga jab Hindu Aatanwad ka janm hoga
ReplyDeleteItni Aukat nhi mulle mein,
ReplyDeleteghazwa e hind kr paye
Ghazwa e hind fail kr dunga puri tarf se
भूपेंदर यादव एक क्रांति है। जो देश विदेश और समाज मे फैली बुराईयों के खिलाफ है। भूपेंदर यादव की डिकस्नरी में पाखंड की कोई जगह नही है। भूपेंदर यादव आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती जी से प्रेरित है। योगीराज श्री कृष्ण जी के बाद अगर कोई योगी हुए है। तो वो स्वामी दयानंद सरस्वती जी हुए है। जो मानवता के मर्गदर्शक है आओ मिलकर कदम से कदम मिलाकर भूपेंदर यादव के साथ चले। वैदिक धर्म की जय
ReplyDeleteWe are standing with you sir🔥🔥🔥
ReplyDeleteSHYAM SUNDAR Vaishnav from Alwar, Rajasthan